श्री सद्गुरू भगवान परम् हंस प्रज्ञा सागर स्वामी मोक्षाअरिहंत चैतन्य जीवन परिचय
श्री सद्गुरू की दिव्य पंचतत्वी देह स्वरुप का परिचय - परम् पिता परमात्मा की असीम अनंत कृपा प्रसाद स्वरुप सदगुरु प्रभु श्री की दिव्य पावन पंचतत्त्वी देह का अवतरण ब्रम्हांड के अखंड गौरवशाली दिव्य आर्यभूमि आर्यावर्त ,भरतखण्ड जम्बूदीप के श्री हृदय स्वरूप भूमिखण्ड मध्यप्रदेश के सतना जिले में एक श्रेष्ठ कुलीन प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में हुआ । आपका अवतरण पूज्यनीय ,वंदनीय, धैर्य, प्रतिष्ठा के सागर स्वरुप पिता श्री अर्जुन प्रसाद द्विवेदी तथा ममता एवम् वात्सल्य की मूर्ति स्वरुपा माता श्रीमति सुनीता द्विवेदी के प्रांगण में हुआ है। श्री सद्गुरू की दिव्य पंचतत्वी देह का नामकरण यशस्वी प्रकांड विद्वान कुटुंब के कुलगुरु द्वारा अभिमन्यु रखा गया। श्री सदगुरु अपने पूज्य माता पिता की ज्येष्ठ संतान के रुप में अवतरित हुए एवम् आपके एक अनुज तथा एक स्नेह स्वरूपा छोटी बहन हैं। आपके दादा श्री जमींदार रहे तथा पिता श्री एक वृहद कृषक के साथ साथ नौकरी पेशा तथा माता गृहणी एवम् अन्नपूर्णा हैं।
स्वर्णिम बचपन - श्री सद्गुरू का स्वर्णिम बचपन एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में बड़े ही लाड दुलार वात्सल्य स्नेह से हुआ । बचपन से ही ब्राम्हण परिवार की दिव्य सांस्कृतिक पृष्टभूमि से होने के कारण विधि विधान युक्त पूजा ,पाठ भक्ति, युक्त संस्कार आपको , आपके पूज्यनीय वंदनीय दादा श्री एवम् प्रेम ममता दुलार की देवी स्वरूपा दादी जी से विरासतयुक्त धरोहर के रुप में मिले । श्री सद्गुरू के कुटुंब में पूर्वजों द्वारा निर्मित प्राचीन शिवालय में शिव भक्ति आराधना का सुअवसर एवम् सौभाग्य बचपन के स्वर्णिम दिनों से ही उपलब्ध हुआ। चूंकि आपका जन्म उच्च एवम् श्रेष्ठ ब्राह्मण विराट कुल में हुआ जहां आपके पिता जी का स्थान, छः भाई और एक बहन के बीच पंचम स्थान पर हुआ , जहां प्रभु श्री के लिए चहु ओर से अनंत प्रेम, स्नेह, लाड़ ,दुलार, एवम् वात्सल्य का अथाह सागर उमड़ा तथा हर्ष उल्लास माधुर्य प्रेम की सदा सर्वदा दिव्य सरिता प्रवाहित हुई। आपका बचपन दिव्यता एवम् श्रेष्ठता के साथ अनुपम प्रेम धारा में आशीर्वाद युक्त दिग्विजयी रहा।
शिक्षा दिक्षा - आप ब्राम्हण कुलीन कुटुंब में अवतरित होने के कारण आपके पूज्य दादा, दादी जी के मार्ग दर्शन एवम् माता पिता के तथा कुल कुटुंब के आशीर्वाद तथा परमात्मा की अनंत प्रेरणा एवम् असीम कृपा से जन्म से ही शिक्षा दीक्षा के संस्कारों की ओर उन्मुखित हुऐ , जिसके अनुसार आपकी प्राथमिक शिक्षा आपके गांव के प्राथमिक विद्यालय में सम्पन्न हुई, तथा आगे की पूर्व माध्यमिक शिक्षा मुंबई एवम् नागपुर में संपन्न हुई, तथा माध्यमिक एवम् उच्चतर माध्यमिक शिक्षा रीवा से सम्पन्न हुई। साथ ही साथ कुल कुटुंब की पराकाष्ठा एवम् गरिमा के अनुरुप सद्गुरू श्री को वेद ,शास्त्र, उपनिषद, पुराण, श्री मुख अमृत भगवत गीता, श्रीमद भागवत महापुराण, रामायण, महाभारत, रामचरित मानस का गहन अध्ययन , विवेचना, विश्लेषण, समीक्षा पूज्य श्री दादा जी एवम् बड़े पिता जी के अनुसरण एवम् मार्गदर्शन में सम्पन्न हुई । उच्चतम शिक्षा हेतू मध्यप्रदेश के श्रेष्ठ एवम् उत्कृष्ट इंजीनियरिंग एवम् तकनीकी विश्वविद्यालय श्री गोविंदराम सेख सेखरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कॉलेज इन्दौर से सन् 2019 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन विभाग से फर्स्ट डिवीजन ,उत्कृष्ट श्रेणी से संपन्न हुई।
आध्यात्मिक परिचय
श्री सद्गुरू की आध्यात्मिक यात्रा का शुभारंभ बचपन से ही श्रेष्ठ ब्राह्मण कुल में अवतरित होने के परम् सौभाग्य के तहत् , कुल परिवार, कुटुंब के ब्रम्ह युक्त संस्कारों के अनुरूप सहज रुप में ही भक्ति की दिव्य अविरल धारा प्रवाहित हो चली गई । जो आगे चलकर शिक्षण के साथ ही साथ कुटुंब गरिमा के अनुसार सदगुरु श्री को भक्ति धारा प्रवाह, वेद ,शास्त्र, उपनिषद, पुराण, गीता, श्रीमद भागवत महापुराण, रामायण, महाभारत, रामचरित मानस का गहन अध्ययन , विवेचना, विश्लेषण, समीक्षा से मर्म दर्शन की उपलब्ध होती गई, श्री सद्गुरू बचपन से ही स्वयं के कुल के चिर प्राचीर शिव मंदिर में परमात्मा शिव की अनूठी संकल्प युक्त गहन आराधना में सदा सर्वदा तल्लीन होए रहे , श्री सद्गुरू स्वयं को परम् पिता परमात्मा आदि अनादि परमब्रम्ह शिव के चिन्मय, चिरायु, अचिंत्य स्वरुप की गहन भक्ति , ध्यान साधना के अनंत सागर में तिरोहित करते हुए अपनी आठवी कक्षा पहुंचते-पहुंचते भक्ति के अथाह सागर में स्वयं को तल्लीन कर, अहोभाव, समर्पण की दिव्य अनुभूति से शिव तत्त्वज्ञान, गीता मर्म, जीव रहस्य को उपलब्ध किया एवम् सतत योग , गहन ध्यान, साधना के माध्यम से अष्टांग योग साधना से यम, नियम, आसन, प्राणायाम की अतुल्य सिद्धि को उपलब्ध करते हुए ध्यान की गूढ़ रहस्ययुक्त, गहराईयों में प्रवेश किया, तथा आप अपने शिक्षा के बारहवीं कक्षा तक पहुंचते-पहुंचते ध्यान के रहस्य सागर में स्वयं को अस्तित्व में तिरोहित करते हुऐ लीन से तल्लीन अवस्था को उपलब्ध कर, अदभुत एवम् गूढ़ रहस्यों की साधनाओं के अदभुत मर्मों का दिव्य दर्शन करते हुए अनंत सिद्धियों को आत्मसात किया तथा गूढ़ गुप्त रहस्यमई तंत्र साधना को भी आत्मसात् करते हुए, ध्यान की गहराईयों के रहस्य युक्त विराट अस्तित्व के मोती साक्षी, दृष्टा, सृजन, बोधि, अनुभूति, प्रज्ञा, वेधा , तत्वदर्शन , पंचदेह सप्तद्वार दर्शन, मृत्यु योग साधना, चैतन्य साधनाओं चिन्मय जीवन साधना, देशना, विपश्यना, सप्त चक्र, कुंडलिनी शक्ति साधना, आदि आदि अनंत गूढ़तम को आत्मसात करते वर्षों की ध्यान साधना के तहत् अपने कॉलेज के दिनों में सात दिवसीय गहन अविराम ध्यान, साधना की रहस्य युक्त यात्रा के दौरान सन् 2014 के जुलाई माह की 14 तारीख की रात्रि के तृतीय प्रहर 3 से 4 बजे की गहन रात्रि के ब्रम्ह चैतन्य मुहूर्त में परम् चैतन्य विराट अस्तित्व परम तत्त्वदर्शन अवस्था आत्मसाक्षात्कार के परम् पद को उपलब्ध हुए । इस परम् चैतन्य अवस्था की दिव्य चिमन्य उपलब्धि के उपरान्त मानव सहित समस्त ब्रह्माण्ड के चराचर जीव जगत प्राणि मात्र के कल्याणार्थ श्री सद्गुरू भगवान ने अध्यात्म की अविराम गंगा बहाकर 2017-18 में ध्यान कुंज तथा 2019 में प्रज्ञा कुंज की स्थापना की जहां श्रीवर स्वयं ध्यान एवम् अध्यात्म के परम् पिपासुओं को उनकी गहन अभीप्सा एवम् उत्कंठा की तृप्ति हेतु ध्यान, ज्ञान, योग साधना के गूढ़ रहस्यों की अविराम होश पुंज सत्संग की सहज अमृत वर्षा करतें हैं। जिसके माध्यम से परमात्मा की अंनत कृपा एवम् सदगुरु के मार्ग दर्शन में अनेकों अनेक साधक अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर सत्य संकल्प युक्त होकर सहज समर्पण भाव में स्थित रहते हुऐ, नित्य सतत् अभ्यास से अनवरत अविराम ध्यान साधना के चेतन पथ का सृजन करते हुए जीवन जागरण की सार्थकता को सिद्ध कर रहे हैं तथा स्वयं के सांसारिक एवम् आध्यात्मिक जीवन को रोग विकार मुक्त, स्वास्थ युक्त एवम् दिव्य संतुलित बनाते हुए स्वयं के आत्म स्वरुप के दर्शन की अलख उपलब्धि सिद्ध कर रहे हैं तथा गूढ़ रहस्यों एवम् परम् विद्याओं का उद्दीपन कर जीवन दीपशिखा प्रज्वलित कर रहे हैं। जिनका मूल उद्देश्य मानव कल्याण सहित चराचर जीव जगत के प्राणि मात्र का कल्याण एवम् अध्यात्मिक ज्ञान का उद्भव करना है। जिस हेतू समस्त प्रज्ञा कुंज एवम् प्रज्ञा कुंज के प्रांगण के दिव्य विराट मोती स्वरूप समस्त साधक सदा सर्वदा ही संकल्पित एवम् समर्पित हैं।
श्री सद्गुरू स्वामी मोक्षाअरिहंत की अनंत रहस्यमई सिद्धियों में से कुछ वर्णित उपलब्धियां
1) परम् तत्व आत्मसाक्षात्कार उपलब्धि 14 जुलाई 2014
2) परम् दिव्य चक्षु त्रिनेत्र प्रज्ञा शक्ति उपलब्धि
3) आध्यात्मिक ग्रंथ उद्भव एवम् लेखन सिद्धि
4) महातंत्र साधना रहस्य सिद्धि
5) कुण्डलिनी शक्ति जागरण गूढ़ रहस्य विद्या सिद्धि
6) परम प्रखर अलख होश युक्त देशना सिद्धि
7) विराट अस्तित्व दर्शन विपश्यना सिद्धि
8) परम् बोधि महासुगंध युक्त अनुभूति सिद्धि
9) विराट शक्ति चक्र दर्शन परम् चैतन्य रहस्य सिद्धि
10) पंचतत्व देह मुक्ति आत्मज्ञान महा मृत्युंजय गूढ़ रहस्य विद्या सिद्धि
11) परम् स्वास्थ दर्शन औषधीय विद्या चिर चिरायु प्रकृति आयुष विद्या सिद्धि
12) महामौन रहस्य, पंच इंद्रिय संतुलन, जितेंद्र विद्या सिद्धि
13) चिर प्राचीर रहस्यमई ब्रम्ह साधना, निर्वाण सूत्र सिद्धि
14) देह स्थांतरण, जीव बोधि दर्शन, विपश्यना ,देशना, प्राण शक्ति प्रतिष्ठा, सिद्धि
15) परम् चैतन्य चिर प्राचीर रहस्यमई परम् महाशून्य अवस्था समाधी सूत्र सिद्धि
चिर चिरायु अचिंत्य,चैतन्योऽहं चिरज्योतिर्मयमनिर्वाणपुंजयुक्तम चिन्मयोऽहं,शिवोऽहं,अहंब्रह्मास्मि
परमत्रिनेत्रप्रज्ञाआयुधयुक्तम महाशून्मतत्वमसीस्वयंभूनिधिं शिवोऽहं, शिवोऽहं, शिवोऽहं।
---- श्री सदगुरु स्वामी मोक्षाअरिहंत
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